बरसात में सरकारी स्कूलों में भारी अव्यवस्था पसरी हुई है
बरसात में सरकारी स्कूलों में भारी अव्यवस्था पसरी हुई है। कहीं बच्चे कीचड़ और गंदगी के बीच हैंडपंप से पानी पीने को मजबूर हैं, तो कहीं गंदगी के बीच से गुजरी पाइप लाइन का पानी पी रहे हैं। कई स्कूलों में तो पानी टंकी की सफाई भी नहीं हुई है।
बरिश के कारण प्लेग्राउंड में पानी भरा हुआ है। हेल्थ चेकअप कैंप से पता चलेगा कि सरकारी स्कूलों के बच्चे कितने स्वस्थ और कितने बीमार हैं। जिले में 1910 सरकारी स्कूल हैं, जहां 2 लाख 72 हजार 198 बच्चे अध्ययनरत हैं। स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को स्कलों में स्वच्छ पेयजल की व्यस्था कराने को कहा है, लेकिन अधिकांश स्कूलों में बच्चे कीचड़ और गंदगी के बीच पानी पीने को मजबूर हैं। कहीं शौचालयों में गंदगी पसरी है तो कहीं ताला लगा हुआ है। कई सरकारी स्कूल ऐसे हैं, जहां शौचालय ही नहीं है।
553 सरकारी स्कूलों में नहीं बन सका मॉडल टॉयलेट
जिले के 483 और निगम के 70 वार्डों के 70 स्कूलों के शौचालयों को मॉडल बनाया जाना था। लोक शिक्षण संचालनालय ने 15 जून के पहले काम पूरा करने को कहा था, लेकिन शिक्षा विभाग ने अब तक स्कूलों में मॉडल टॉयलेट नहीं बनाया है। सरकारी स्कूलों में शौचालय तो हैं, लेकिन सारी सुविधाएं नहीं हैं। इसलिए शासन ने सभी गांवों में एक-एक सरकारी स्कूलों के शौचालयों को मॉडल बनाने का निर्णय लिया, ताकि दिव्यांगों को विशेष सुविधाएं मिल सके।
जानिये… हकीकत
सरकारी स्कूल पहुंची तो कई प्रकार की खामियां नजर आई। चिंगराजपारा हाईस्कूल में नया शौचालय बना है, लेकिन यहां गंदगी पसरी हुई है। स्कूल में पेयजल के लिए बोर है, लेकिन जहां बोर हुआ है, वहां गंदगी मिली। स्कूल प्रबंधन ने कई साल से इसकी सफाई ही नहीं कराई है। प्राइमरी स्कूल डबरीपारा में मैदान गंदगी से भरा हुआ है। यहीं एक हैंडपंप हैं, जहां से बच्चे पानी पीते हैं। यहां टॉयलेट तो है लेकिन उस ताला जड़ दिया गया है।
बताया जा रहा है कि यह केवल शिक्षकों के लिए है। हाईस्कूल बिजौर में बच्चों ने बताया कि यहां टॉयलेट ही नहीं हैँ। पहले टॉयलेट था, जो टूट चुका है, इसके बाद यहां नया टॉयलेट नहीं बना है। शहर में लाल बहादुर शास्त्री समेत कई स्कूलों के मैदान में गंदगी फैली हुई है।