नहीं करते 7-8 घंटे की नींद पूरी, तो दे रहे हैं इन 8 परेशानियों को न्यौता, जर्जर हो जाएगा पूरा शरीर

नई दिल्ली: नींद ह्युमन बॉडी के लिए एक जरूरी प्रक्रिया है, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती है। जब हम पूरी नींद नहीं लेते हैं, तो इसका सीधा असर हमारे शरीर और दिमाग पर पड़ता है।नींद पूरी न होने के कारण शरीर में कई नेगेटिव बदलाव देखने को मिलते हैं, जो लंबे समय तक रहने वाली समस्याओं का कारण भी बन सकते हैं। आइए जानें नींद पूरी न होने से हमारे शरीर पर क्या असर पड़ता है।
मेंटल हेल्थ पर असर
नींद की कमी सबसे पहले हमारी मेंटल हेल्थ को प्रभावित करती है। पूरी नींद न लेने से चिड़चिड़ापन, तनाव, और मूड स्विंग जैसी समस्याएं हो सकती हैं। नींद की कमी से दिमाग की काम करने की क्षमता धीमी हो जाती है, जिससे फोकस और याददाश्त कमजोर होती है। इसके अलावा, लंबे समय तक नींद की कमी से डिप्रेशन और एंग्जायटी जैसी गंभीर मानसिक समस्याएं भी हो सकती हैं।
शारीरिक एनर्जी में कमी
नींद पूरी न होने पर शरीर की एनर्जी के लेवल में कमी आती है। नींद के दौरान शरीर के सेल्स की मरम्मत और एनर्जी रीस्टोर होती है। जब नींद पूरी नहीं होती, तो शरीर थका हुआ और सुस्त महसूस करता है। इससे रोजमर्रा के काम करने में दिक्कत होती है और फिजिकल एक्टिविटी कम हो जाती है।
इम्युनिटी का कमजोर होना
नींद की कमी से शरीर की शरीर की बीमारियों से लड़ने की क्षमता प्रभावित होती है। नींद के दौरान शरीर में साइटोकिन्स नाम का प्रोटीन का उत्पादन होता है, जो इन्फेक्शन और बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। नींद पूरी न होने पर यह प्रक्रिया बाधित होती है, जिससे शरीर की बीमारियों से लड़ने की क्षमता कमजोर हो जाती है। इसके कारण व्यक्ति बार-बार बीमार पड़ सकता है।
दिल के स्वास्थ्य पर प्रभाव
नींद की कमी दिल के स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक हो सकती है। नींद पूरी न होने पर ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है और हार्ट बीट अनियमित हो सकती है। इससे हार्ट डिजीज, स्ट्रोक और हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। लंबे समय तक नींद की कमी से दिल से संबंधी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
नींद की कमी दिल के स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक हो सकती है। नींद पूरी न होने पर ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है और हार्ट बीट अनियमित हो सकती है। इससे हार्ट डिजीज, स्ट्रोक और हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। लंबे समय तक नींद की कमी से दिल से संबंधी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
वजन बढ़ना
नींद की कमी वजन बढ़ने का एक अहम कारण हो सकती है। नींद पूरी न होने पर शरीर में भूख को कंट्रोल करने वाले हार्मोन्स असंतुलित हो जाते हैं। इससे व्यक्ति को ज्यादा भूख लगती है, खासकर मीठे और फैट से भरपूर फूड्स की तलब बढ़ जाती है। इसके अलावा, नींद की कमी से शरीर का मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है, जिससे वजन बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है।
नींद की कमी वजन बढ़ने का एक अहम कारण हो सकती है। नींद पूरी न होने पर शरीर में भूख को कंट्रोल करने वाले हार्मोन्स असंतुलित हो जाते हैं। इससे व्यक्ति को ज्यादा भूख लगती है, खासकर मीठे और फैट से भरपूर फूड्स की तलब बढ़ जाती है। इसके अलावा, नींद की कमी से शरीर का मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है, जिससे वजन बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है।
त्वचा को नुकसान
नींद की कमी का सीधा असर त्वचा पर भी देखा जा सकता है। नींद पूरी न होने पर त्वचा की सेल्स का रिजूविनेशन नहीं हो पाता है, जिससे त्वचा रूखी और बेजान हो जाती है। इसके अलावा, नींद की कमी से आंखों के नीचे काले घेरे और झुर्रियां भी बढ़ सकती हैं।
नींद की कमी का सीधा असर त्वचा पर भी देखा जा सकता है। नींद पूरी न होने पर त्वचा की सेल्स का रिजूविनेशन नहीं हो पाता है, जिससे त्वचा रूखी और बेजान हो जाती है। इसके अलावा, नींद की कमी से आंखों के नीचे काले घेरे और झुर्रियां भी बढ़ सकती हैं।
हार्मोनल असंतुलन
नींद की कमी से शरीर के हार्मोनल संतुलन पर भी नेगेटिव असर पड़ता है। नींद के दौरान शरीर में कई हार्मोन्स का सीक्रेशन होता है, जो शारीरिक फंक्शन्स को कंट्रोल करते हैं। नींद पूरी न होने पर इन हार्मोन्स का सीक्रेशन प्रभावित होता है, जिससे थायरॉइड, इंसुलिन और स्ट्रेस हार्मोन्स का स्तर अनियंत्रित हो सकता है।
नींद की कमी से शरीर के हार्मोनल संतुलन पर भी नेगेटिव असर पड़ता है। नींद के दौरान शरीर में कई हार्मोन्स का सीक्रेशन होता है, जो शारीरिक फंक्शन्स को कंट्रोल करते हैं। नींद पूरी न होने पर इन हार्मोन्स का सीक्रेशन प्रभावित होता है, जिससे थायरॉइड, इंसुलिन और स्ट्रेस हार्मोन्स का स्तर अनियंत्रित हो सकता है।
डायबिटीज का खतरा
नींद की कमी से इंसुलिन सेंसिटिविटी प्रभावित होती है, जिससे ब्लड शुगर का लेवल बढ़ सकता है। इससे टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। नींद पूरी न होने पर शरीर में ग्लूकोज का सही ढंग से इस्तेमाल नहीं हो पाता, जिससे डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है।
नींद की कमी से इंसुलिन सेंसिटिविटी प्रभावित होती है, जिससे ब्लड शुगर का लेवल बढ़ सकता है। इससे टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। नींद पूरी न होने पर शरीर में ग्लूकोज का सही ढंग से इस्तेमाल नहीं हो पाता, जिससे डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है।