नाराज कोर्ट ने SDM की कार करा दी जब्त,कुर्की का आदेश
जांजगीर : निजी पावर प्लांट के लिए अधिग्रहित भूमि का सही मुआवजा नहीं मिलने पर पीड़ित ने न्यायालय की शरण ली। न्यायालय में 9 साल पहले प्रशासन द्वारा निर्धारित 10 लाख की जगह 1 करोड़ 37 लख रुपए मुआवजा प्रदान करने के निर्देश दिए थे। पर 9 सालों तक इसका पालन नहीं होने के पर जिला न्यायाधीश शैलेंद्र चौहान ने कलेक्ट्रेट परिसर की जमीन और छह वाहनों की कुर्की का आदेश दिया। कुर्की आदेश का पालन करवाने कल शुक्रवार को जिला नाजिर समेत न्यायालय के कर्मचारी कलेक्ट्रेट पहुंचे। जानकारी लगने पर कलेक्ट्रेट में हड़कंप मच गया और कलेक्टर समेत अन्य अधिकारी कर्मचारी उल्टे पांव अपनी गाड़ियों में ऑफिस से चलते बने। वहीं जानकी एसडीएम ममता यादव जिला प्रशासन का पक्ष रखने न्यायालय पहुंची। तब नाराज जिला न्यायाधीश ने एसडीएम की गाड़ी अदालत में ही खड़ी करवा कुर्क करवा दी। जिसके बाद एसडीएम को अपनी प्राइवेट गाड़ी मंगवा वापस लौटना पड़ा।
शुक्रवार को करीब 12 बजे जिला न्यायालय जांजगीर-चांपा के जिला नाजिर और न्यायालय कर्मचारी कुर्की आदेश की तामील कराने कलेक्ट्रेट पहुंचे थे। कलेक्टर कार्यालय में कुर्की आदेश की जानकारी मिलते ही हड़कंप मच गया। देखते ही देखते कलेक्ट्रेट परिसर में खड़ी कलेक्टर समेत अधिकारियों की सरकारी गाड़ियां एक-एक करके वहां से निकलती गई। कलेक्ट्रेट परिसर में सन्नाटा छा गया। इस दौरान पक्षकार पक्ष से लोग भी मौजूद रहे।
क्या है पूरा मामला
वर्ष 2009 में केएसके वर्धा पॉवर प्लांट के लिए शासन के द्वारा सुरेखा सिंह की जमीन अधिग्रहित की गई थी। अधिग्रहित 94 डिसमिल जमीन के एवज में उन्हें करीब 10 लाख रुपए का मुआवजा दिया गया। इस पर उन्होंने राजस्व विभाग के द्वारा उनकी जमीन का सही वेल्युवेशन नहीं करने से कारण कम मुआवजा मिलने पर आपत्ति जताई, लेकिन शासन-प्रशासन स्तर पर सुनवाई नहीं हुई। तब 2011 में न्यायालय की शरण ली। जहां सुनवाई के बाद कोर्ट ने पक्षकार को जमीन अधिग्रहण के एवज में 1 करोड़ 37 लाख रुपए मुआवजा भुगतान करने का आदेश दिया, लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद भी जमीन मालिक को मुआवजा राशि का भुगतान नहीं किया गया। जिस पर विगत 28 जून 2024 को जिला न्यायाधीश जांजगीर शैलेन्द्र चौहान के द्वारा शासन की 6 सरकारी वाहनों समेत कलेक्टर कुर्क करने के आदेश जारी किए।
पक्षकारों के मुताबिक केएसके वर्धा पॉवर प्लांट के लिए उनकी जमीन को शासन के द्वारा अधिग्रहित किया गया था। 94 डिसमिल जमीन जो कि डायवर्टेड थी। उसका सही वेल्युवेशन नहीं किया गया। इस वजह से करीब 10 लाख रुपए का मुआवजा दिया गया। इसके विरूद्ध पीड़ितो ने कोर्ट में अपील की थी। जिस पर 2015 में पीड़ितो के पक्ष में कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 1 करोड़ 37 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया था। साथ ही 9 प्रतिशत सालाना ब्याज भी देने का आदेश था, लेकिन अब तक मुआवजा राशि नहीं दी प्रदान की गई।
इसके बाद जिला न्यायाधीश शैलेंद्र चौहान ने कलेक्ट्रेट की छह गाड़ियों के अलावा कलेक्ट्रेट की जमीन का सीमांकन कर जमीन के भी कुर्की करने का आदेश जारी किया। जिस पर कल शुक्रवार को जिला नाजिर समेत न्यायालय के अन्य कर्मचारी कलेक्ट्रेट पहुंचे। मिली जानकारी के अनुसार कुर्की की कार्यवाही से कलेक्ट्रेट परिसर में हड़कंप मच गया। कार्यालयीन दिवस होने के चलते कलेक्टर भी अपने चेंबर में उपस्थित थे। न्यायालय के कर्मचारी पहले उनसे मिलने गए पर कलेक्टर उनसे नहीं मिले और अपर कलेक्टर से मिल लेने की बात कहवा दी। कर्मचारी अपर कलेक्टर से मिलने चले गए। इसके कुछ देर बाद कलेक्टर वहां से निकल गए।
कुर्की की कार्यवाही की भनक लगते ही बाकी सरकारी गाड़ियां भी वहां से नदारत होने लगी। अपर कलेक्टर तो दफ्तर में बैठे रहे पर उनका ड्राइवर उनकी सरकारी गाड़ी लेकर निकल गया।
कलेक्टर ने टाला एडीएम पर
जब जिला नाजिर समेत अन्य कर्मचारी कुर्की की कार्यवाही करने कलेक्ट्रेट पहुंचे उस वक्त कलेक्टर कार्यालय में उपस्थित थे । कोर्ट के कर्मचारी कुर्की की जानकारी देने उनसे मिलना चाहते थे। पर कलेक्टर उनसे नहीं मिले और एडीएम से चर्चा करने भेज दिया। वही एडीएम ने कर्मचारियों से चर्चा तो की और कहा कि अदालत के समक्ष जिला प्रशासन का पक्ष रखने एसडीएम को भेज रहे हैं। जांजगीर एसडीम ममता यादव जिला प्रशासन का पक्ष रखने अपनी सरकारी गाड़ी क्रमांक सीजी 02 एच 1212 में जिला न्यायालय पहुंची।
तब तक कोर्ट के कर्मचारियों ने कलेक्टर के मिलने से इनकार करने की जानकारी जज साहब तक पहुंचा दी थी। जब एसडीएम ममता यादव न्यायाधीश के समक्ष जिला प्रशासन का पक्ष रखने उपस्थित हुई तब अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश शैलेंद्र चौहान एक अन्य प्रकरण की सुनवाई कर रहे थे। जब एसडीएम ने अपना पक्ष रखा तो नाराज न्यायाधीश ने कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने और न्यायालय को कुछ नहीं समझने को लेकर एसडीएम को जमकर फटकार लगाई। नाराज ने एसडीएम से पूछा कि आप किस गाड़ी में कोर्ट आई हैं। जब एसडीएम ने सरकारी गाड़ी से आने की बात कही तब जज ने उनसे गाड़ी नंबर पूछा। एसडीएम गाड़ी नंबर नहीं बता पाईं। तब जज ने सुरक्षा कर्मियों को निर्देशित कर दिया कि सीजी 02 सीरीज की कोई गाड़ी अदालत से बाहर नहीं जाएगी। बता दे 02 सरकारी गाड़ियों की सीरीज होती है। जज ने एसडीएम को गाड़ी की चाबी जमा करने के निर्देश दिए। गाड़ी की चाबी मिलने के बाद एसडीएम की गाड़ी तलाश कर उसे कर्क करते हुए न्यायालय परिसर में ही चेन के द्वारा पेड़ से बांधकर रख दिया गया।