सरकार ने सुनी दिल की बात, तो नक्सली बोले- ‘घर बसाना चाहते हैं’

सरकार ने सुनी दिल की बात, तो नक्सली बोले- ‘घर बसाना चाहते हैं’

रायपुर :  दशकों तक विकास की धारा में बाधक बने नक्सलवाद का अब छत्तीसगढ़ से खात्मा होता दिख रहा है। इसके लिए छत्‍तीसगढ़ की विष्णुदेव साय की सरकार का डिजिटल प्रयास भी रंग दिखाने लगा है और नक्सलियों को आत्मसमर्पण के लिए सोचने को मजबूर कर दिया है। मई 2024 में राज्य के उप मुख्यमंत्री व गृह मंत्री विजय शर्मा ने आत्मसमर्पित नक्सलियों के पुनर्वास नीति के लिए आनलाइन क्यूआर कोड, गूगल फार्म और मेल आइडी niyadnellabastar @ gmail.com जारी करके सुझाव मांगे थे। इसमें अब बड़ी संख्या में फीडबैक मिले हैं। कुछ नक्सलियों ने आत्मसमर्पण के बाद घर बसाने की इच्छा जाहिर की है।

गृह विभाग के सूत्रों के मुताबिक नक्सली आत्मसमर्पण के बाद घर और सुरक्षा दोनों ही चाहते हैं। इसके अलावा आत्मसमर्पण की राशि बढ़ाने व स्व-रोजगार या फिर नौकरी के लिए भी सुझाव मिल रहे हैं। बतादें कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए सुरक्षा भी बड़ी चुनौती होती है।

कई बार ऐसे लोगों को नक्सली मारने की भी कोशिश करते हैं। लिहाजा, नक्सली आत्मसमर्पण के बाद सुरक्षित जगह पर रहना चाहते हैं। साय सरकार का यह डिजिटल प्लेटफार्म अब उनको अपने भीतर की बात कहने के लिए मंच भी दे दिया है। इसके पहले गृह मंत्री विजय शर्मा नक्सलियों को मोबाइल फोन या फिर वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत करने का प्रस्ताव दे चुके हैं।

साथ ही नक्सलियों से मुख्य धारा में लौटने के लिए अपील की थी। गृह मंत्री शर्मा कह चुके हैं कि छत्तीसगढ़ सरकार के पास नक्सलियों से वार्ता के सारे रास्ते खुले हैं। भाजपा सरकार बस्तर के गांवों में बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधा पहुंचाना चाहती है। उन्होंने नक्सलियों से आत्मसमर्पण की अपील करते हुए पूछा था कि वह पुनर्वास के लिए किस तरह की नीति चाहते हैं, यह भी सरकार को बताएं।

सुझावों पर गोपनीय टीम कर रही अमल

अधिकारिक सूत्रों के अनुसार नक्सलियों की ओर से मिल रहे आनलाइन फीडबैक पर गृह विभाग में अत्यंत गोपनीय तरीके से काम किया जा रहा है। आत्मसमर्पित नक्सलियों के लिए सुगम आवास योजना, रोजगार के लिए कौशल विकास और प्रशिक्षण मिलेगा। स्वरोजगार के लिए कम ब्याज पर लोन और इसके अलावा नक्सलियों के खिलाफ चल रहे पुलिस केस का त्वरित निपटारा या गंभीर मामलों में न्यायालयीन प्रकरणों को सुलझाने में भी मदद करने के लिए योजना बनाई जा रही है।

कुछ पीड़ितों की मिलीं शिकायतें भी

अधिकारिक सूत्रों के अनुसार नक्सलियों के अलावा कुछ पीड़ितों ने आनलाइन अपनी शिकायतें भी दर्ज कराई है। शिक्षक अपनी पीड़ा बता रहे हैं कि नक्सली उनकी सैलरी का कुछ हिस्सा ले जाते हैं। वहीं कोटेदार यानी राशन दुकानदार ने बताया कि नक्सली राशन लेकर भाग जाते हैं।

मारे जा चुके हैं अब तक 138 नक्सली

एक तरफ राज्य सरकार बस्तर में नियद नेल्लानार (आपका अच्छा गांव) योजना चलाकर नक्सली मांद में सुरक्षा कैंप स्थापित कर रही है। यहां के स्थानीय लोगों को बुनियादी सुविधा उपलब्ध करवा रही है। वहीं दूसरी ओर सुरक्षा बल के जवान लगातार नक्सलियों को उनकी ही मांद में मार रहे हैं। पिछले छह महीने की साय सरकार में 138 नक्सलियों के मारे जाने का दावा है। जबकि 400 से अधिक ने आत्मसमर्पण किया है।

छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री व गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा, हमने नक्सलियों ने आनलाइन सुझाव मांगे हैं ताकि पुनर्वास नीति बेहतर बनाई जा सके। सुझावों के आधार पर जल्द ही आत्मसमर्पित नक्सलियों की पुनर्वास नीति जारी की जाएगी।


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