छत्तीसगढ़ का आदिवासी समुदाय सीएम विष्णुदेव साय के नेतृत्व में हो रहा खुशहाल
रायपुर : अपने मुख्यमंत्रित्व काल के शुरुआती एक साल में ही छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव सरकार ने राज्य के हर एक वर्ग के हितों को प्राथमिकता के साथ साधने का काम किया है. आदिवासी समुदायों के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए राज्य सरकार उनके लिए बहुत कुछ कर रही है.
छत्तीसगढ़ की लगभग 3 करोड़ आबादी में एक तिहाई जनसंख्या आदिवासी समुदाय की है. इन समुदायों के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए साय सरकार ने अपना पूरा फोकस शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सुरक्षा पर किया है. इसके अलावा केन्द्र और राज्य सरकार की योजनाओं को आदिवासी समुदाय तक पहुँचाने की पूरी-पूरी कोशिश की जा रही है. आदिवासी समुदाय के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक उत्थान के लिए चलाई जा रही योजनाओं से नया वातावरण बन रहा है.
छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार आदिवासी बच्चों की शिक्षा के लिए विशेष प्रयास कर रही है. स्थानीय बोलियों में प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करने का निर्णय लिया गया है. यह नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत आदिवासी समुदायों में शिक्षा की पहुंच बढ़ाने में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा. 18 स्थानीय भाषा-बोलियों में स्कूली बच्चों की पुस्तकें तैयार की जा रही हैं. प्रथम चरण में छत्तीसगढ़ी, सरगुजिहा, हल्बी, सादरी, गोंड़ी और कुडुख में कोर्स तैयार किया जा रहा है. दूरस्थ और वनांचल क्षेत्रों में कक्षा 1 से 8 तक की शिक्षा प्रदान करने वाली आश्रम शालाओं की स्थापना की जा रही है.
इसके अलावा, प्रतिभावान आदिवासी विद्यार्थियों को उत्कृष्ट आवासीय शिक्षण संस्थानों में प्रवेश दिलाने हेतु ‘जवाहर आदिवासी उत्कर्ष विद्यार्थी योजना’ संचालित है, जिससे वे प्रतिस्पर्धात्मक माहौल में शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे. मुख्यमंत्री की पहल पर छत्तीसगढ़ के माओवादी आतंक प्रभावित जिलों के विद्यार्थियों को तकनीकी एवं व्यावसायिक शिक्षा के लिए ब्याज रहित ऋण मिलेगा। शेष जिलों के विद्यार्थियों को 1 प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण प्रदान किया जाएगा. ब्याज अनुदान के लिए शिक्षा ऋण की अधिकतम सीमा 4 लाख रूपए रखी गई है.
राज्य सरकार द्वारा 36 कॉलेजों के भवन-छात्रावास निर्माण के लिए 131 करोड़ 52 लाख रूपए मंजूर किए गए है. इससे प्रदेश के 36 कॉलेजों के इंफ्रास्ट्रक्चर सुदृढ़ होंगे और शैक्षणिक माहौल को और भी बेहतर बनाने में मदद मिलेगी. इस स्वीकृति में अधिकांश आदिवासी बहुल क्षेत्रों के कॉलेजों को शामिल किया गया है. नई दिल्ली के ट्रायबल यूथ हॉस्टल में सीटों की संख्या 50 से बढ़ाकर अब 185 कर दी गई है. प्रदेश के 263 स्कूलों में पीएमश्री योजना शुरू की गई है, जिसके तहत इन स्कूलों को मॉडल स्कूल के रूप में विकसित किया जा रहा है. इस योजना के तहत स्कूलों में स्थानीय भाषाओं के साथ-साथ रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे आधुनिक विषयों को भी पढ़ाया जाएगा.
पीएमश्री स्कूल आदिवासी बहुल इलाकों में भी स्कूलों को अपग्रेड किया रहा है, इससे इन क्षेत्रों के बच्चों को भी आधुनिक, ज्ञानपरक और कौशल युक्त शिक्षा मिल रही है.आदिवासी समुदाय के बच्चों के लिए बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए 75 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं. इसके अलावा माओवादी प्रभावित क्षेत्र के बच्चों के लिए 15 प्रयास आवासीय विद्यालय संचालित है. इन विद्यालयों में मेधावी विद्यार्थियों को अखिल भारतीय मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराई जा रही हैं.
यकीनन, छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज से आने वाले मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य जनजातीय समाज के सर्वांगीण विकास के नए आयाम गढ़ रहा है. नई दिल्ली में रहकर संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा की तैयारी करने के इच्छुक अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए अब इस हॉस्टल में तीन गुने से भी अधिक सीटें उपलब्ध होंगी. आईआईटी की तर्ज पर राज्य के जशपुर, बस्तर, कबीरधाम, रायपुर और रायगढ़ में प्रौद्योगिकी संस्थानों का निर्माण किया जाएगा. राज्य में छत्तीसगढ़ उच्च शिक्षा मिशन की स्थापना भी की जा रही है.
किसी भी समुदाय की विकास की मुख्य धुरी उसकी आर्थिक समृद्धि होती है. छत्तीसगढ़ सरकार आदिवासी समुदायों के आर्थिक विकास के लिए ‘आदिवासी स्वरोजगार योजना’ चलाई जा रही है. इस योजना के तहत बैंकों के माध्यम से लघु उद्योग और व्यापार के लिए ऋण प्रदान किया जाता है, जिसमें किराना, टेलरिंग, मोटर मैकेनिक, मुर्गीपालन, बकरी पालन आदि व्यवसाय शामिल हैं. ऋण का 50% या अधिकतम ₹10,000 तक अनुदान के रूप में दिया जाता है, जिससे आदिवासी युवा आत्मनिर्भर बन सकें.
केन्द्र सरकार द्वारा आदिवासी समाज को प्राथमिकता जनजातीय परिवारों के सामाजिक आर्थिक विकास को गति देने के लिए प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान शुरू किया जा रहा है. इस योजना से देशभर के इसमें 63,000 गावों के 5 करोड़ जनजातीय लोग लाभार्थी होंगे. छत्तीसगढ़ की जनसंख्या में लगभग 30 प्रतिशत अनुपात आदिवासी समाज को सीधा लाभ मिलेगा.
इसी प्रकार कृषि बजट में वृद्धि खेती-किसानी से जुड़े क्षेत्रों के लिए 1.52 लाख करोड़ का आवंटन किया गया है. किसानों की खेतीबाड़ी के लिए 32 कृषि और बागवानी फसलों की नई उच्च पैदावार वाली और जलवायु अनुकूल किस्म जारी की गई है. प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए 10,000 जैव आदान संसाधन केंद्र स्थापित किए जाएगा, इसका लाभ भी राज्य के आदिवासी बहुल इलाकों को मिलेगा.
किसी भी समुदाय की संस्कृति को बचाते हुए उसका विकास करना ही सही विकास कहलाता है. छत्तीसगढ़ की साय सरकार आदिवासी समुदायों की सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण के लिए भी प्रयासरत है. आदिवासी विकास प्राधिकरणों के माध्यम से उनकी संस्कृति, परंपराओं और सामाजिक संरचनाओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए योजनाएं बनाई जाती हैं. इसके अलावा, आदिवासी क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं के विकास, जैसे सड़क, बिजली, पानी आदि, पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है.
प्रदेश के दूरस्थ इलाकों में जिस तरह स्वास्थ्य, सड़क, संचार और सुरक्षा नेटवर्क को मजबूती दी जा रही है, उसका सर्वाधिक लाभ आदिवासी वर्ग को मिल रहा है. छत्तीसगढ़ में आदिवासी समुदाय की बसाहट ज्यादातर वनांचल क्षेत्रों में है. इन क्षेत्रों में सड़क, नेटवर्क बढ़ाया जा रहा है. केन्द्र सरकार द्वारा भी भारत माला प्रोजेक्ट के तहत रायपुर से विशाखापट्नम तक ईकोनॉमी कारिडोर बनाया जा रहा है.
राज्य के आदिवासी क्षेत्रों और अयोध्या धाम तक सीधी कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री ने रायगढ़-धरमजयगढ़-मैनपाट-अंबिकापुर-उत्तरप्रदेश सीमा तक कुल 282 किमी तक के मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित करने की मांग की है. यह मार्ग प्रदेश के चार जिलों से होकर गुजरता है एवं धार्मिक नगरी अयोध्या से छत्तीसगढ़ राज्य को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग है. इस मार्ग के लिए भारत सरकार से हरी झण्डी मिल गई है. इसका सीधा फायदा भी आदिवासी इलाकों को मिलेगा. इससे जहां आदिवासी समाज के जीवन स्तर में गुणवत्ता का संचार हो रहा है, वहीं सुशासन की सुखदाई हवा से प्रदेश में वामपंथी उग्रवाद की समस्या को परास्त किया जा रहा है.
आदिवासी क्षेत्रों में वामपंथी उग्रवाद को रोकने के लिए सुरक्षा और विकास को मूल मंत्र बनाया है. इसके सार्थक परिणाम दिख रहे हैं. इन इलाकों में रहने वाले लोगों को शासकीय योजनाओं का लाभ दिलाने के साथ-साथ उन्हें सभी जरूरी सुविधाएं भी दी जा रही है. बीते एक साल के दौरान मुठभेड़ों में 195 माओवादियों को ढेर किया गया. 34 फारवर्ड सुरक्षा कैम्पों की स्थापना की गई. निकट भविष्य में दक्षिण बस्तर एवं माड़ में रि-डिप्लायमेंट द्वारा 30 नए कैम्पों की स्थापना प्रस्तावित है.
इन इलाकों में केन्द्र सरकार द्वारा चलाई जा रही पीएम जनमन योजना और राज्य सरकार की नियद नेल्ला नार योजना गेम चेंजर साबित हो रही है. राज्य शासन की नियद नेल्ला नार (आपका अच्छा गांव) योजना जनकल्याण का अभिनव उपक्रम साबित हो रही है. इस योजना के अंतर्गत माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में स्थापित नए कैम्पों के आसपास के 5 किमी के दायरे में आने वाले 96 गांवों का चयन कर शासन के 17 विभागों की 53 योजनाओं और 28 सामुदायिक सुविधाओं के तहत आवास, अस्पताल, पानी, बिजली, पुल-पुलिया, स्कूल इत्यादि मूलभूत संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं.
सुंदर स्वास्थ्य के बिना शानदार जीवन की कल्पना भी नही की जा सकती. आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाने के लिए सरकार ने विशेष स्वास्थ्य योजनाएं शुरू की हैं. दूरस्थ क्षेत्रों में मोबाइल चिकित्सा इकाइयों के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा रही हैं. इसके साथ ही, आश्रम शालाओं में निवासरत विद्यार्थियों के नियमित स्वास्थ्य परीक्षण हेतु ‘विद्यार्थी कल्याण योजना’ संचालित है, जिसमें निजी चिकित्सकों द्वारा माह में दो बार स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है.
राज्य में गरीब परिवारों को शहीद वीर नारायण सिंह विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना के तहत 20 लाख रूपए की राशि गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए सहायता उपलब्ध कराई जा रही है. स्वास्थ्य से समृद्धि की राह पर आगे बढ़ते हुए छत्तीसगढ़ सरकार आदिवासी क्षेत्रों के अस्पतालों को सर्वसुविधायुक्त बनाया जा रहा है. छत्तीसगढ़ सरकार ने 68 लाख गरीब परिवारों को 05 साल तक मुफ्त राशन देने का निर्णय लिया है, इसके लिए बजट में 3400 करोड़ रुपए का प्रावधान है. इसका लाभ आदिवासी समुदाय को भी मिल रहा है. इन क्षेत्रों में 57 मोबाईल मेडिकल यूनिट के संचालन हेतु अनुपूरक में 2 करोड़ 72 लाख का प्रावधान है.
युवाओं के लिए बेरोज़गारी से बड़ा कोई दंश नही हो सकता. आदिवासी युवाओं को रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण देने के लिए ‘प्रशिक्षण सह उत्पादन केंद्र’ स्थापित किए जा रहे हैं, जहां उन्हें बढ़ईगिरी, टेलरिंग, कुम्हार शिल्प, बांस उद्योग आदि में प्रशिक्षण दिया जाता है. प्रशिक्षण के दौरान उन्हें शिष्यवृत्ति और आवश्यक उपकरण भी प्रदान किए जाते हैं, जिससे वे स्वावलंबी बन सकें. किसी भी समुदाय के अधिकारों की रक्षा के बिना उनके अन्य हितों की चर्चा बेमानी होती है.
छत्तीसगढ़ राज्य की संवेदनशील सरकार ने आदिवासी समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए ‘नागरिक अधिकार संरक्षण प्रकोष्ठ’ की स्थापना की है, जो अनुसूचित जाति और जनजाति के उत्पीड़न के मामलों की निगरानी और त्वरित समाधान सुनिश्चित करता है. इसके तहत विशेष न्यायालय और थानों की स्थापना की गई है, ताकि न्यायिक प्रक्रियाएं तेजी से पूरी हों.
राज्य में आदिवासी क्षेत्रों के समग्र विकास के लिए ‘आदिवासी विकास प्राधिकरण’ की स्थापना की गई है. यह प्राधिकरण आदिवासी समुदायों के आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक उत्थान के लिए अल्पकालिक और दीर्घकालिक योजनाओं का निर्माण और क्रियान्वयन करता है. इसके माध्यम से क्षेत्रीय विकास कार्यक्रमों की समीक्षा और अनुश्रवण भी किया जाता है. आदिवासी बहुल इलाकों में तेन्दू के वृक्षों की बहुतायत है.
तेंदूपत्ता संग्रहण से बड़ी संख्या में समुदाय के लोगों को रोजगार मिलता है. इसको देखते हुए राज्य सरकार ने तेंदूपत्ता संग्रहण की दर 4000 से बढ़ाकर 5500 रूपए कर दिया है. तेंदूपत्ता संग्रहण कार्यों से लगभग 12 लाख से अधिक परिवार लाभान्वित हुए हैं. जल्द ही सरकार तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए चरण पादुका वितरण योजना भी शुरू करने जा रही है.
राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने विभिन्न अवसरों पर आदिवासी क्षेत्रों के विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है. सरगुजा क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की बैठकों में प्रगतिरत कार्यों को शीघ्र पूर्ण करने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे आदिवासी समुदायों को विकास की मुख्यधारा में शामिल किया जा सके. केन्द्र सरकार द्वारा नगर नार में देश का सबसे बड़ा इस्पात संयंत्र भी शुरू किया गया है, इससे बस्तर अंचल के विकास को नई गति मिली है.
छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय सरकार ने आदिवासी समुदाय की विकास में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मुद्दों को वरीयता दी है. आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में समग्र विकास का स्वप्न साकार हो रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार आदिवासी समुदायों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध है. शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक सशक्तिकरण, सांस्कृतिक संरक्षण और बुनियादी सुविधाओं के विकास के माध्यम से सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि आदिवासी समाज राज्य के विकास में समान भागीदार बने और उनकी जीवन गुणवत्ता में निरंतर सुधार हो.