धान की नर्सरी बनाने से पहले बीज का उपचार जरूरी, वैज्ञानिकों ने बताया तरीका, डबल होगा उत्पादन

धान की नर्सरी बनाने से पहले बीज का उपचार जरूरी, वैज्ञानिकों ने बताया तरीका, डबल होगा उत्पादन

कोडरमा : मानसून की दस्तक के बाद पूरे जिले में रुक-रुक कर जोरदार बारिश हो रही है. मानसून के आगमन के साथ ही बेहतर बारिश से किसानों का चेहरा खिल चुका है. किसान फसल की बुवाई के लिए खेत तैयार करने में जुट गए हैं. कोडरमा जिला कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय कृषि वैज्ञानिक के अनुसार इस बारिश से किसी भी फसल को नुकसान होने की संभावना काफी कम है.

बीज का करें उपचार

वरीय कृषि वैज्ञानिक डॉ. एके राय ने बताया कि कोडरमा में मौजूद उपजाऊ जमीन की किस्म एवं जलवायु को ध्यान में रखते हुए कृषि विज्ञान कोडरमा के कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा धान की नई प्रजाति विकसित की गई है. जिसका उपयोग कर किसान काफी अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि कोडरमा में अधिकांश किसान धान की खेती पर निर्भर रहते हैं और जिले में बड़े पैमाने पर धान की खेती की भी जाती है.
उन्होंने बताया कि धान की नर्सरी तैयार करने के पहले बीज का उपचार बेहद जरूरी हैं. इसके लिए कोई भी फंगीसाइड और नर्सरी तैयार करने वाले जमीन में जिंक सल्फेट का उपयोग करने से उच्च क्वालिटी की नर्सरी तैयार होती है. नर्सरी के पौधे में किसी प्रकार के बीमारी होने का खतरा नहीं होता है. अच्छी नर्सरी तैयार करने पर धान का फसल भी काफी अच्छा उत्पादन देगा.

इस बीज से डबल उत्पादन
कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि केंद्र में सीआर धान 320, सीआर धान 317, नवीन, सीआर धान 10 प्रजाति के धान के बीज विकसित किए गए हैं. जो कृषि विज्ञान केंद्र में उपलब्ध हैं. किसान यहां से 55 रुपए किलो की रेट से इसकी खरीदारी कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि एक एकड़ धान की खेती के लिए 10 से 15 केजी बीज की आवश्यकता होती है. उन्होंने बताया कि यह सभी धान की प्रजाति 100 से 110 दिन की फसल है. समय अवधि पूरा होने के बाद किसान प्रति एकड़ 20 से 25 क्विंटल उत्पादन प्राप्त कर सकेंगे.

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