कोलकाता रेप केस में सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी, कहा पिछले 30 साल में हमने ऐसा केस नहीं देखा, ये चौंकाने वाला है

कोलकाता रेप केस में सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी, कहा पिछले 30 साल में हमने ऐसा केस नहीं देखा, ये चौंकाने वाला है

नई दिल्ली। कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और मर्डर के मामले की सुनवाई आज सुप्रीम कोर्ट में हो रही है। शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान इस केस में कोलकाता पुलिस के रवैये पर सख्त टिप्पणी की। जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा कि पिछले 30 साल में हमने ऐसा केस नहीं देखा। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की स्टेट्स रिपोर्ट और कोलकाता पुलिस की जांच रिपोर्ट में अंतर पर भी सवाल उठाए और कोलकाता पुलिस के रवैए को संदेहजनक बताया।

जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि पुलिस द्वारा आपराधिक कानून में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया ऐसी नहीं है जिसका सीआरपीसी अनुसरण करती है या मैंने अपने 30 वर्षों में देखा है। तो क्या यह सच है कि पोस्टमार्टम यूडी रिपोर्ट के बाद हुआ। जस्टिस पारदीवाला ने कहा जो सहायक पुलिस अधीक्षक हैं। उसका आचरण भी बेहद संदिग्ध है। उसने ऐसा व्यवहार क्यों किया?

सुप्रीम कोर्ट में CBI का दावा- घटना स्थल को नुकसान पहुंचाया गया, सबूत मिटाए गए

सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया है कि घटना स्थल को नुकसान पहुंचाया गया और सबूत मिटाए गए। सीबीआई की इस दलील को पश्चिम बंगाल सरकार के वकील ने विरोध किया। सीबीआई से जब कोर्ट ने पूछा मेडिकल एग्जामिनेशन रिपोर्ट कहा है तो सीबीआई ने कहा कि हमारी समस्या ये है कि हादसे के 5 दिन बाद हमें जांच मिली है।

सीबीआई की दलील का बंगाल सरकार ने किया विरोध

सीजेआई ने पूछा आरोपी की मेडिकल जांच रिपोर्ट, कहां है। इस पर सीबीआई के वकील सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हमें यह नहीं दी गई है। इस पर बंगाल सरकार के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि यह केस डायरी का हिस्सा है और प्रस्तुत किया गया है। एसजी ने कहा कि हमने 5वें दिन घटनास्थल पर प्रवेश किया और सीबीआई जांच शुरू करना एक चुनौती है और अपराध स्थल बदल दिया गया है। सिब्बल ने कहा सि जब्ती मेमो है। बेजा आरोप नहीं लगाएं।

सीबीआई ने बताई संदेह करने की वजह

एसजी ने कहा कि दाह संस्कार के बाद रात 11:45 बजे पहली एफआईआर दर्ज की गई, फिर उन्होंने माता-पिता को बताया कि यह आत्महत्या है, फिर मौत और फिर अस्पताल में डॉक्टर के दोस्तों ने वीडियोग्राफी पर जोर दिया और इस तरह उन्हें भी संदेह हुआ कि कुछ गड़बड़ है।

कोर्ट में हुई जोरदार बहस

जस्टिस पारदीवाला ने पूछा कि पोस्टमार्टम किस समय किया गया। इस पर सिब्बल ने कहा कि शाम 6:10 से 7:10 बजे के बीच। जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि जब आप शव को पोस्टमार्टम के लिए ले गए थे तो क्या यह अन नेचुरल डेथ का मामला था या नहीं। अगर यह अन नेचुरल डेथ नहीं थी तो पोस्टमार्टम की क्या जरूरत थी। जब आप पोस्टमार्टम करना शुरू करते हैं तो यह अन नेचुरल डेथ का मामला है। अन नेचुरल डेथ 23:30 बजे दर्ज किया गया और एफआईआर 23:45 बजे दर्ज की गई। क्या यह रिकॉर्ड सही है? सिब्बल ने कहा कि अन नेचुरल डेथ दोपहर 1:45 बजे दर्ज की गई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इन दोनों रिपोर्टों को कैसे मिला सकते हैं।

जस्टिस पारदीवाला ने पूछा ये सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम आपके रिकॉर्ड देख रहे हैं। यह अननेचुरल डेथ नहीं थी। पोस्टमार्टम के बाद देर रात एफआईआर दर्ज की गई। जस्टिस पारदीवाला ने कहा सि कृपया एक जिम्मेदार बयान दें। बिना सोचे-समझे बयान न दें। सिब्बल ने कहा कि कृपया केस डायरी देखें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूडी केस कब दर्ज किया गया था (यूडी यानी अप्राकृतिक मौत मामले की रिपोर्ट)। सिब्बल ने कहा कि दोपहर 1:45 बजे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये आपको कहां से मिला। हमें दिखाओ। जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा कि आपको इतनी देर क्यों लग रही है। आप अगली तिथि में इसका जवाब दें, अन्यथा जिम्मेदार पुलिस अधिकारी को पेश करें। जस्टिस पारदीवाला ने सीबीआई की महिला अधिकारी संयुक्त निदेशक से पूछा कि आपके दस्तावेजों और राज्य के दस्तावेजों में फर्क क्यों है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपका कंडक्ट बहुत ही संदेह जनक है।


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