नकली होलोग्राम केस में ईडी को झटका, यूपी के थाने में दर्ज FIR पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

नकली होलोग्राम केस में ईडी को झटका, यूपी के थाने में दर्ज FIR पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

रायपुर :  शराब घोटाला से जुड़े नकली होलोग्राम मामले में ईडी की ओर से उत्तरप्रदेश के गौतमबुद्व नगर जिले के कासना पुलिस थाने में दर्ज एफआईआर पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। ईडी छत्तीसगढ़ के शराब घोटाला मामले में ईसीआईआर दर्ज कर कार्रवाई कर रही है।

ईडी के ही आवेदन पर राज्य की एसीबी-ईओडब्लू शाखा भी शराब घोटाला मामले में एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई कर रही है। वहीं मेरठ कोर्ट ने रिटायर्ड आईएएस अनिल टुटेजा की ओर से पेश आवेदन को स्वीकार करते हुए उन्हें छत्तीसगढ़ वापस भेजने की सशर्त अनुमति दी है।

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस आगस्टिन जार्ज मसीह ने याचिका की सुनवाई की। होलोग्राम निर्माता विधु गुप्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोरा ने तर्क पेश किए। विधु गुप्ता की ओर से दायर याचिका हाईकोर्ट इलाहाबाद से आए फैसले के खिलाफ प्रस्तुत थी।

याचिका में सर्वोच्च न्यायालय से यह आग्रह किया गया कि हाईकोर्ट में दायर याचिका थाना कासना में दर्ज एफआईआर को रद करने की मांग करती है। हाईकोर्ट ने इस मूल विषय पर कोई राहत या निर्देश नहीं दिया और याचिका तब खारिज कर दी थी, इसके बाद यूपी एसटीएफ ने याचिकाकर्ता विधु गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया था।

इस स्टे से क्या होगा

विधि विशेषज्ञों के अनुसार इस स्टे का अर्थ यह है कि, थाना कासना के एफआईआर नंबर 0196/2023 की सारी प्रक्रिया पर रोक लग गई है। ऐसे में इस मामले में गिरफ्तार जो भी अभियुक्त हैं, उन्हें जमानत का लाभ मिल सकता है। विधि विशेषज्ञों का कहना है कि जब प्रक्रिया पर ही सर्वोच्च न्यायालय की रोक है तो मामले में विचार भी नहीं हो सकता।

टुटेजा को छत्तीसगढ़ आने की अनुमति मिली

शराब घोटाला मामले में गिरफ्तार रिटायर्ड आईएएस अनिल टुटेजा के वकीलों को मेरठ अदालत से सशर्त छत्तीसगढ़ वापस भेजे जाने की अनुमति हासिल हो गई है। मेरठ अदालत के विशेष न्यायाधीश (एसीबी) ने अनिल टुटेजा की ओर से पेश आवेदन पर आदेश में लिखा है, इस न्यायालय में नियत तिथियों पर अभियुक्त को उपस्थित कराने की शर्त पर अन्य न्यायालय में अभियुक्त को उपस्थित कराने की नियमानुसार अनुमति दी जाती है।

अनिल टुटेजा की ओर से मेरठ कोर्ट में दायर याचिका में यह याचना थी कि उन्हें जब मेरठ लाया गया था तो विशेष न्यायाधीश रायपुर ने शर्त लगाई थी कि सुनवाई की प्रत्येक तिथि को उनकी उपस्थिति सुनिश्चित हो, इसलिए उन्हे विशेष न्यायाधीश रायपुर की हिरासत में वापस भेजने की अनुमति दी जाए।


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