हिम्मत और मेहनत की मिसाल, रीत बनी इंडिगो की पायलट

हिम्मत और मेहनत की मिसाल, रीत बनी इंडिगो की पायलट

बिलासपुर :  पढ़ाई के दौरान रीत अक्सर आसमान में उड़ते जहाज देखती और मन में सोचती कि इसे कौन उड़ाता होगा। अपने माता-पिता से पायलट बनने की इच्छा जाहिर करने पर उसके पिता संदीप कुमार राय ने उसे सलाह दी कि पहले दसवीं पास कर साइंस-मैथ्स की पढ़ाई करनी होगी, फिर पायलट बनने का सपना पूरा हो सकता है।

रीत ने 2019 में कक्षा 12वीं की पढ़ाई पीसीएम के साथ 78 प्रतिशत अंकों से पास की। उसकी मां, मीना राय, शासकीय विद्यालय में शिक्षिका हैं, जबकि उसका छोटा भाई, सात्विक राय, अभी 12वीं कक्षा में पढ़ाई कर रहा है। कक्षा 12वीं के बाद, रीत ने डायरेक्टोरेट जनरल आफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) की परीक्षा की तैयारी शुरू की और सभी एग्जाम चरणबद्ध पास किए। इसके बाद पुणे के रेडबर्ड फ्लाइंग स्कूल से 200 घंटे पूरे करने सीपीएल लाइसेंस प्राप्त किया। कोविड-19 के दौरान परीक्षा पास करना एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन रीत ने हार नहीं मानी।

यूरोप के लिथवेनिया की विलनिएस सिटी में एयर बस 320 की टाइप रेटिंग पूरी की और ए 320 जैसे बड़े विमान को चलाने में पारंगत हुई। 2023 में एयर इंडिया और इंडिगो में आवेदन किया और दोनों में रीत का चयन हो गया था, पर रीत ने अपनी आगे की यात्रा इंडिगो एयर लाइन के साथ रखना तय किया।

स्वतंत्रता दिवस होगा खास

इस स्वतंत्रता दिवस पर रीत और 50 महिला पायलटों का ग्रुप विशेष उड़ान भरेंगे, जिसके लिए उसका चयन हो चुका है। रीत का कहना है कि सपनों की ऊंचाई जितनी बड़ी होती है, मेहनत भी उतनी ही बड़ी होती है। उसकी यह यात्रा प्रेरणादायक है और बताती है कि सच्ची लगन और मेहनत से हर सपना पूरा किया जा सकता है।


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