एक देश-एक चुनाव बिल कैबिनेट से मंजूर, अगले हफ्ते संसद में लाया जाएगा, पास हुआ तो 2029 तक एक साथ देशभर में चुनाव

एक देश-एक चुनाव बिल कैबिनेट से मंजूर, अगले हफ्ते संसद में लाया जाएगा, पास हुआ तो 2029 तक एक साथ देशभर में चुनाव

नई दिल्ली :  केंद्रीय कैबिनेट से एक देश-एक चुनाव के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है। सूत्रों ने यह दावा करते हुए बताया कि अगले हफ्ते बिल को संसद में पेश किया जा सकता है। सरकार इस बिल पर आम सहमति बनाना चाहती है, लिहाजा संसद से बिल को चर्चा के लिए जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) के पास भेजा जाएगा। JPC इस बिल पर सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा करेगी।

इससे पहले सितंबर में केंद्रीय कैबिनेट ने वन नेशन-वन इलेक्शन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। कैबिनेट मीटिंग के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि ‘पहले फेज में विधानसभा और लोकसभा चुनाव साथ होंगे। इसके बाद 100 दिन के भीतर दूसरे फेज में निकाय चुनाव साथ कराए जाएंगे।’

बिल पास हुआ तो 2029 तक वन नेशन-वन इलेक्शन, 3 पॉइंट

  • कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक, एक देश-एक चुनाव लागू करने के लिए कई राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल घटेगा।
  • जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव 2023 के आखिर में हुए हैं, उनका कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है।
  • विधि आयोग के प्रस्ताव पर सभी दल सहमत हुए तो यह 2029 से ही लागू होगा। इसके लिए दिसंबर 2026 तक 25 राज्यों में विधानसभा चुनाव कराने होंगे।

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद रिपोर्ट सौंप चुके

वन नेशन वन इलेक्शन पर विचार के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में 2 सितंबर 2023 को एक पैनल बनाया गया था। इस पैनल ने स्टेकहोल्डर्स-एक्सपर्ट्स से चर्चा के बाद 191 दिन की रिसर्च के बाद 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।

मोदी सरकार एक देश एक चुनाव क्यों जरूरी मानती है

  1. एक देश एक चुनाव से जनता को बार-बार के चुनाव से मुक्ति मिलेगी।
  2. हर बार चुनाव कराने पर करोड़ों रुपये खर्च होते हैं, जो कि कम हो सकते हैं।
  3. यह कॉन्सेप्ट देश में राजनीतिक स्थिरता लाने में अहम रोल निभा सकता है।
  4. इलेक्शन की वजह से बार बार नीतियों में बदलाव की चुनौती कम होगी।
  5. सरकारें बार-बार चुनावी मोड में जाने की बजाय विकास कार्यों पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगी।
  6. प्रशासन को भी इसका फायदा मिलेगा, गवर्नेंस पर जोर बढ़ेगा।
  7. पॉलिसी पैरालिसिस जैसी स्थिति से छुटकारा मिलेगा। अधिकारियों का समय और एनर्जी बचेगी।
  8. सरकारी खजाने पर बोझ कम होगा और आर्थिक विकास में तेजी आएगी।

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