जब सैंया भाई कोतवाल तो काहे का डर – आखिर यह कहावत क्यों फिट बैठता है मोबाइल मेडिकल यूनिट में कार्यरत एरिया प्रोजेक्ट मैनेजर पर
जांजगीर चाम्पा : मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना अंतर्गत जिले में संचालित मोबाइल मेडिकल यूनिट में कार्यरत एरिया प्रोजेक्ट मैनजर इन दिनों सुर्खियों में है दर्शन में एरिया प्रोजेक्ट मैनेजर कार्यस्थल से अनुपस्थित मनमर्जी तरीके से कैंप संचालन यह बात तो आम बात सी हो गई है वही मोबाइल मेडिकल यूनिट में समय पर दवा उपलब्ध न करवा पाना मरीज से दुर्व्यवहार जैसे कई मामले सामने आ रहे हैं। लेकिन मजाल है कोई आला अधिकारी इन पर कार्यवाही कर दें दरसल में जिले के नोडल अधिकारी एवं SUDA के आलाअधिकारियों से मिले संरक्षण की वजह से इनके हौसले दिनों दिन बुलंद होते जा रहे हैं और जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा इन पर कार्यवाही नहीं किए जाने की वजह से इस योजना पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। और कहीं ना कहीं इसका खमियाजा आने वाले दिनों में भुगतना पड़ सकता है।
केवल सेल्फी लेने के लिए मिल रहे हैं महीने में 30 हजार से अधिक का वेतन
आप हैरान हो जाएंगे कि इस योजना में केवल निष्ठा के माध्यम से उपस्थिति लेने वह सेल्फी फोटो खींचने के लिए ही नगरीय प्रशासन द्वारा इन्हें प्रति माह 30 हजार से भी अधिक का वेतन दिया जा रहा है । अगर बात की जाए उनकी भर्ती प्रक्रिया की तो आप भी हैरान हो जाएंगे दर्शन में स्वास्थ्य संबंधी इस योजना में कार्य करने वाले एरिया प्रोजेक्ट मैनेजर को ना ही सामुदाय का ज्ञान है ना ही प्रबंधन से संबंधित उनकी शैक्षणिक योग्यता की बात की जाए तो स्वास्थ्य संबंधित एवं प्रबंधन शैक्षिक योग्यता से कोसो दूर इंजीनियरों की भर्ती की गई है प्लेसमेंट के माध्यम से निजी एजेंसी से की गई है ।
इस संबंध में जिम्मेदार अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई तो वे मीडिया से दूरी बनाते नजर आए। जिससे यह सब जाहिर होता है कि जिम्मेदार अधिकारियों के संरक्षण में ही एरिया प्रोजेक्ट मैनेजर इस योजना में पलीता लगाते नजर आ रहे हैं । इसीलिए यह मुहावरा यहां पर फिट बैठता है जब सैया भाई कोतवाल तो काहे का डर।