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गिरजाबाई के अनोखे शौक: जांजगीर चांपा की महिला खाती है ईट- पत्‍थर, जिस दिन नहीं खाया, उस रोज मचलने लगता है जी! - Somanshu News

गिरजाबाई के अनोखे शौक: जांजगीर चांपा की महिला खाती है ईट- पत्‍थर, जिस दिन नहीं खाया, उस रोज मचलने लगता है जी!

गिरजाबाई के अनोखे शौक: जांजगीर चांपा की महिला खाती है ईट- पत्‍थर, जिस दिन नहीं खाया, उस रोज मचलने लगता है जी!

जांजगीर चांपा : छत्‍तीसगढ़ के जांजगीर चांपा से एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया है। दरअसल खोखरा गांव की रहने वाली गिरजाबाई बरेठ को पत्थर और ईट खाने का शौक है। गिरजाबाई ने बताया कि उन्हें कई सालों से कुरकुरिया पत्थर, ईंट और चूना खाने की लत लगी है। जिस दिन वो ईंट और पत्थर नहीं खाती है, तो उनका जी मचलता है। इतना ही नहीं दांत किनकिनाने लगते हैं।

हैरानी की बात तो ये है कि महिला को आज तक डाइजेशन तक में कोई समस्या नहीं हुई है। गिरजाबाई के इस अनोखे शौख को देख घरावालों के साथ-साथ आसपास के गांव वाले भी दंग हैं। बताया जा रहा है कि गिरजाबाई पिछले 30 सालों से कुरकुरिया पत्‍थर, ईट और चूने का सेवन कर रही हैं।

30 साल से खा रही महिला, स्‍वस्‍थ

खाने का नाम सुनते ही लोगों के मन में अलग अलग प्रकार के पकवान खाने (CG Girijabai Story) का मन करता है। हर किसी को अलग अलग डिश खाने का शौक रहता है, लेकिन जांजगीर चांपा जिले के खोखरा गांव की रहने वाली एक ऐसी महिला है जो लाल कुरकुरा पत्थर और ईट खाने का शौख रखती हैं। यहां की महिला प्रतिदिन ईट या पत्थर खाती हैं, और इसे खाते हुए उन्हें 25 से 30 साल हो गए है।

नहीं खाया तो मचलने लगता है जी!

ग्राम खोखरा की गिरजाबाई बरेठ ने बताया कि वह रोजाना पत्थर और ईट खाती है, क्योंकि उन्हें अब यह खाने में अच्छा लगता है, इसे खाते हुए 30 वर्ष हो गए, इसलिए पत्थर और ईंट खाने की आदत सी हो गई है। अब इसके बिना रहना मुश्किल हो गया हैं। यदि वह ये नहीं खाती हैं तो उनका जी मचलने लगता है।

पहली बार घर की पुताई करते वक्‍त खाया था चूना

पत्थर और ईट खाने की कैसे शुरुआत की जब इस बारे में बंसल न्‍यूज ने बात की तो महिला गिरजाबाई  ने बताया कि जब 30 साल पहले चुना से घर की पुताई कर रही थी तो इसकी खुशबु अच्छी लगी। उसी दौरान सूखा चूना खाया। इसके बाद 2 – 3 साल तक चूना गया। इसके बाद तालाब नहाने गईं तो वहां कुरकुरिया पत्थर मिला, उसका स्‍वाद चखा। क्‍योंकि यह पत्थर दांत से आसानी से टूट जाता है, और साथ ही ईट भी खाने लगी।

अब कोई कुछ नहीं बोलता है

गिरजा बाई ने आगे बताया कि अब ईट और पत्थर खाने की आदत इतनी हो गई है कि जिस दिन नहीं खाती है उस दिन जी मचलता है। दांत किनकिनाने लगते हैं, पहले पहले उसके बेटे और बहु ने खाने से मना किया, लेकिन अब कोई कुछ नहीं बोलता है। वहीं उसके पोते करन बरेठ ने बताया कि उसकी दादी पत्थर ईट खाती है, पत्थर को खाने से माना किया तब से थोड़ा कम की है, लेकिन वर्तमान में वह ईट इतना ज्यादा खाती है कि दिनभर में आधा से ज्यादा ईंट खा जाती हैं, जैसे लड़के लोग गुटखा खाते हैं वैसे वह ईट को खाते रहती है।

पाइका बीमारी के कारण होती है ये सब खाने की इच्‍छा

डॉक्‍टर्स से जब बात की तो उनका कहना है कि यह एक पाइका बीमारी जैसा है। इस बीमारी में व्‍यक्ति कुछ भी खाने को तैयार हो जाता है। जबकि वो वस्‍तु खाने लायक नहीं रहती। इस बीमारी का नाम पाइका पक्षी के नाम पर रखा है। यह पक्षी कुछ भी खा लेता है। उसी के नाम पर इस रोग का नाम रखा गया है।

इस मिथक के कारण परिवार वाले कुछ नहीं कहते

जानकारी मिलती है कि किसी भी घर में जब महिलाएं मिट्टी या इससे जुड़े किसी तत्‍व का सेवन करती हैं तो कहा जाता है कि कैल्शियम की कमी हो गई है। जबकि ऐसा नहीं है, इस बीमारी का संबंध आयरन की कमी को दर्शाता है। आयरन की कमी के कारण महिला को बार-बार मिट्टी खाने की तलब आती है। जब वह बार-बार मिट्टी का सेवन करती है तो उसके पेट में कई तरह की समस्‍या होने लगती है।

किडनी स्‍टोन का सबसे ज्‍यादा खतरा

डॉक्‍टर्स बताते हैं कि कोई भी व्‍यक्ति यदि लगातार मिट्टी या इसी तरह के तत्‍व खाता है तो उसका असर पेट की आंतों पर होगा। उसकी आंत में रुकावट होने लगेगी। इसके अलावा लीवर पर भी नकारात्मक असर पड़ना शुरू हो जाता है। इतना ही नहीं मिट्टी या इसी तरह की अन्‍य वस्‍तु खाने वाले बच्चों और बड़ों के शरीर में सूजन आना शुरू हो जाती है।

साथ ही पाचन क्रिया प्रभावित होने लगती है। इससे भोजन नहीं पच पाता। मिट्टी, पत्‍थर समेत अन्‍य वस्‍तुओं के सेवन से भूख लगना भी बंद हो सकती है। विशेषज्ञों की माने तो मिट्टी पानी के अंदर घुल नहीं पाती है। इसके अलावा कंकड़ धीरे-धीरे किडनी स्टोन में तब्‍दील होना शुरू हो जाते हैं।

एनीमिया को भी सबसे बड़ा खतरा

मिट्टी खाने से व्‍यक्ति कई तरह की बीमारियों का शिकार हो सकता है। सबसे ज्‍यादा खतरा एनीमिया का रहता है। शरीर में हिमोग्लोबिन की कमी को ही एनीमिया कहते हैं। हिमोग्लोबिन कम होने की वजह से खून में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, इससे एनीमिया की बीमारी हो जाती है।


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