कितने साल तक चलती है शनि की महादशा, ऐसे करें न्याय के देवता को प्रसन्न

नई दिल्ली : न्याय के देवता शनिदेव को शनिवार का दिन बेहद प्रिय है। इस दिन शनिदेव की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साधक मनोवांछित फल पाने के लिए शनिवार के दिन व्रत भी रखते हैं। धार्मिक मत है कि शनिदेव की पूजा करने से साधक के जीवन में व्याप्त सभी परेशानी दूर हो जाती है। साथ ही साधक को करियर और कारोबार में मनमुताबिक सफलता मिलती है।
ज्योतिषियों की मानें तो शनिदेव अच्छे कर्म करने वाले को अल्प समय में कामयाब बना देते हैं। उन्हें जीवन में ऊंचा मुकाम हासिल होता है। वहीं, बुरे कर्म करने वाले साधकों को अवश्य ही दंडित करते हैं। इसके लिए शनिदेव को कर्मफल दाता भी कहा जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि शनि की महादशा कितने साल तक चलती है और शनिदेव को कैसे प्रसन्न करें? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
शनि की महादशा
ज्योतिषियों की मानें तो शनि की ढैय्या ढाई साल तक रहती है। वहीं, शनि की साढ़ेसाती साढ़े सात साल तक रहती है। जबकि, शनि की महादशा तकरीबन 19 साल तक चलती है। शनि की महादशा के दौरान सभी शुभ और अशुभ ग्रहों की अंतर्दशा और प्रत्यंतर दशा चलती है।
शनिदेव हमेशा कर्मों के अनुसार फल देते हैं। अच्छे कर्म करने वाले को रंक से राजा बना देते हैं। वहीं, बुरे कर्म करने वाले को कंगाल बना देते हैं। व्यक्ति लाख चाहकर भी जीवन में प्रगति नहीं कर पाता है। इसके लिए ज्योतिष शनि की महादशा के दौरान शुभ और सत्य कार्य करने की सलाह देते हैं।
शनिदेव को कैसे प्रसन्न करें?
शनिदेव के आराध्य देवों के देव महादेव और जगत के पालनहार भगवान कृष्ण हैं। अतः शनि की महादशा के दौरान भगवान शिव या भगवान कृष्ण की पूजा करें। न्याय के देवता शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए सोमवार और शनिवार के दिन काले तिल मिश्रित गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करें।
हर मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमान जी की पूजा करें। साथ ही रोजाना सुबह और शाम के समय हनुमान चालीसा का पाठ करें। इस उपाय को करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।शनि की महादशा के दौरान हर शनिवार को स्नान-ध्यान के बाद पीपल के पेड़ में जल अर्पित करें। साथ ही पीपल पेड़ की परिक्रमा करें। इस दिन सरसों तेल शनिदेव को अवश्य अर्पित करें।
शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन काले तिल, उड़द की दाल, छाता, कंबल, चमड़े के चप्पल और जूते का दान करें। इन चीजों के दान से शनिदेव की कृपा साधक पर बरसती है।