मंत्रिमंडल का विस्तार : प्रदेश में मंत्री के दो पदों के लिए थोक में दावेदार
रायपुर : प्रदेश की विष्णुदेव साय सरकार में अब दो मंत्रियों के पद खाली हो गए हैं। पहले से ही एक पद खाली था, अब बृजमोहन अग्रवाल के सांसद बनने के बाद उनके मंत्री पद से भी इस्तीफा देने के बाद अब दो पद खाली हो गए हैं। इसके लिए थोक में भाजपा के विधायक दावेदार हैं। मंत्री पद पर नए चेहरों की भी नजरें हैं।राष्ट्रीय नेतृत्व की मर्जी से ही मंत्री पद से विधायकों को नवाजा जाएगा। अगले माह से विधानसभा का मानसून सत्र होने वाला है, इस सत्र से पहले नए मंत्री तय होने की बात की जा रही है।
प्रदेश में एक बार फिर से भाजपा सरकार बनने के बाद विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बनाया गया तो उनके मंत्रिमंडल में एक पद छोड़कर बाकी मंत्री बना दिए गए। एक पद के लिए लंबे समय से इंतजार चल रहा है। इसको लेकर पहले ही दावेदार दौड़ और जुगाड़ लगा रहे थे। वरिष्ठ भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल ने सांसद बनने के बाद अंततः विधायक पद के बाद मंत्री पद से भी इस्तीफा दे दिया है। अब मंत्री के दो पद खाली हो गए हैं। इस पर नियुक्ति की तैयारी प्रारंभ हो गई है।
नए-पुराने चेहरों का मिश्रण देखने को मिलेगा : नेताम
प्रदेश के मंत्री रामविचार नेताम ने मंत्रिमंडल को लेकर कहा है, मंत्रिमंडल में किसी भी तरह का बदलाव मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है। उन्होंने नए चेहरों को मौका देने के सवाल पर कहा, नए विधायकों को मौका मिलेगा, तभी तो वे सीनियर होंगे। मंत्रिमंडल में नए और पुराने चेहरों का मिश्रण देखने को मिलेगा।
ये हैं दावेदार
मंत्री के दो पदों के लिए थोक में दावेदार हैं। राजधानी रायपुर से बृजमोहन अग्रवाल का पद खाली होने के बाद रायपुर से ही एक मंत्री बनाए जाने की संभावना ज्यादा है। ऐसे में जहां पूर्व मंत्री और रायपुर पश्चिम के विधायक राजेश मूणत बड़े दावेदार हैं, वहीं रायपुर उत्तर के पुरंदर मिश्रा और रायपुर ग्रामीण के विधायक मोतीलाल साहू के दावे को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता। अगर राष्ट्रीय संगठन ने नए चेहरे को मौका देने का मन बनाया तो नए विधायक में से किसी की भी लाटरी लग सकती है। इसी तरह से एक और पद के लिए कई दावेदार हैं। इनमें बिलासपुर के विधायक पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल, बिल्हा के विधायक और पूर्व नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक, कुरुद के विधायक अजय चंद्राकर, दुर्ग के विधायक गजेंद्र यादव, पंडरिया विधायक भावना बोहरा के नाम प्रमुख हैं। भाजपा के सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रीय नेतृत्व कोई भी फैसला करने से पहले जातीय समीकरण भी देखेगा। इसके पहले भी मंत्रिमंडल में जातीय समीकरण को संतुलित किया गया है।