किन 4 जगहों पर है साधुओं का पॉवर सेंटर, कहां से नियंत्रित होते हैं 13 अखाड़े?

किन 4 जगहों पर है साधुओं का पॉवर सेंटर, कहां से नियंत्रित होते हैं 13 अखाड़े?

प्रयागराज : प्रयागराज में 45 दिनों तक चलने वाले महाकुंभ में लाखों साधु-संत शामिल होंगे। इनमें से अधिकांश किसी न किसी अखाड़े से जुड़े होते हैं। वर्तमान में 13 अखाड़े हैं जिन्हें मान्यता प्राप्त है। इनमें से 7 शैव, 3 वैष्णव और 4 उदासीन अखाड़े हैं। अक्सर लोग सोचते हैं कि साधु समाज का नियंत्रण होता कहा से हैं। ऐसी कौन-सी व्यवस्था है जो इतने बड़े जनसमुदाय को अनुशासित रख सके। आगे जानिए कहां से नियंत्रित होते हैं ये 13 अखाड़े और पूरा साधु समाज…

किसने बनाएं 4 मठ और दशनामी अखाड़े?

आदि शंकराचार्य ने हिंदू धर्म को संगठित करने के उद्देश्य से 4 मठों के साथ-साथ दशनामी अखाड़ों की भी स्थापना की। आज भी इन चार मठों को साधु समाज में बड़ी श्रद्धा, आस्था और सम्मान से देखा जाता है। ये चार मठ शंकराचार्यों के हैं। इनके मठाधीश साधु समाज का सबसे श्रेष्ठ पद होता है। ये ही पूरे साधु समाज को नियंत्रित करते हैं। ये वो वो 4 मठ…

रामेश्वर में है श्रंगेरी मठ

श्रृंगेरी ज्ञानमठ भारत के दक्षिण में रामेश्वरम् में स्थित है। श्रृंगेरी मठ से दीक्षा लेने वाले संन्यासियों के नाम के बाद सरस्वती, भारती तथा पुरी लिखा जाता है। इस मठ का महावाक्य ‘अहं ब्रह्मास्मि’ है तथा मठ के अन्तर्गत ‘यजुर्वेद’ को रखा गया है। इस मठ के प्रथम मठाधीश आचार्य सुरेश्वरजी थे, जिनका पूर्व में नाम मण्डन मिश्र था।

उड़ीसा में है गोवर्धन मठ

भारत के पूर्वी भाग में उड़ीसा राज्य के पुरी में स्थित है गोवर्धन मठ। यहां से दीक्षा प्राप्त करने वाले सन्यासियों के नाम के बाद ‘आरण्य’ सम्प्रदाय नाम का विशेषण लगाया जाता है। इस मठ का महावाक्य है ‘प्रज्ञानं ब्रह्म’ तथा इस मठ के अंतर्गत ‘ऋग्वेद’ को रखा गया है। इस मठ के पहले मठाधीश आद्य शंकराचार्य के प्रथम शिष्य पद्मपाद हुए।

द्वारिका में है शारदा मठ

गुजरात के द्वारिका में स्थित है शारदा मठ, जिसे कालिका मठ भी कहते हैं। इस मठ के अंतर्गत दीक्षा लेने वाले सन्यासियों के नाम के बाद ‘तीर्थ’ और ‘आश्रम’ नाम विशेषण लगाया जाता है। इस मठ का महावाक्य है ‘तत्त्वमसि’ तथा इसके अंतर्गत ‘सामवेद’ को रखा गया है। इस मठ के प्रथम मठाधीश हस्तामलक थे।

बद्रीनाथ में है ज्योतिर्मठ

उत्तराखंड के बद्रीनाथ में स्थित है ज्योतिर्मठ। इस मठ से दीक्षा लेने वाले संन्यासियों के नाम के बाद ‘गिरि’, ‘पर्वत’ एवं ‘सागर’ नाम विशेषण लगाया जाता है। इस मठ का महावाक्य ‘अयमात्मा ब्रह्म’ है। इस मठ के अंतर्गत अथर्ववेद को रखा गया है। इस मठ से पहले मठाधीश आचार्य तोटक थे।


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