डिजिटल अरेस्ट के नाम पर बुजुर्ग महिला से 58 लाख की ठगी, क्राइम ब्रांच का अफसर बताकर लगाया चूना…
रायपुर : इन दिनों डिजिटल अरेस्ट के नाम पर लगातार ठगी की जा रही है। ऐसे ही एक मामले में पीड़िता की शिकायत पर डिजिटल अरेस्ट कर 58 लाख की ठगी करने वाले आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। साथ ही आरोपी के कब्जे से 9.50 नगदी जब्त की गई है। आरोपी का नाम जसविंदर सिंह साहनी निवासी राजनांदगांव है।
दरअसल, प्रार्थीया एमवीएसएस लक्ष्मी ने रिपोर्ट दर्ज कराई की अज्ञात मोबाइल नंबर धारकों ने खुद को क्राइम ब्रांच मुंबई पुलिस का होना बताकर उसके आधार कार्ड का दुरुपयोग किया। आरोपी ने 311 बैंक अकाउंट खोलने की झूठी बात बोलकर डराया और 24 घंटे व्हाट्सएप वीडियो कॉल में डिजिटल अरेस्ट कर 58 लाख रुपए की ठगी कर ली।
इस रिपोर्ट पर थाना पंडरी (मोवा) में अपराध क्रमांक 305/24 धारा 318(4), 3(5) बीएनएस पंजीकृत कर विवेचना रेंज साइबर थाना रायपुर को सौंपी गई।
आईजी रायपुर रेंज अमरेश मिश्रा द्वारा मामले को गंभीरता से लिया और रेंज साइबर थाना रायपुर को आरोपियों की पहचान कर गिरफ्तारी के निर्देश दिए।
सायबर टीम द्वारा कार्रवाई करते हुए रेंज साइबर थाना रायपुर द्वारा प्रकरण में संलिप्त सभी आरोपियों की पहचान कर घटना में शामिल आरोपी जसविंदर सिंह साहनी पिता दिलबाग सिंह साहनी उम्र 58 वर्ष राजनंदगांव को गिरफ्तार किया गया।P आरोपी से ठगी से प्राप्त की गई रकम 9.50 लाख रुपए जप्त किया गया है।
बता दें कि साइबर ठग ऑनलाइन ठगी के लिए नए-नए पैंतरे अपना रहे हैं। ठग खुद को पुलिस अधिकारी बताते हुए झांसे में लेकर लोगों से रुपये भी मांग रहे हैं। हाल ही में ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें ठगों ने खुद को पुलिस वाला बताकर ठगी की कोशिश की।
जाने कैसे हो रही पुलिस के नाम से ठगी
डिजिटल अरेस्ट करना शातिरों का नया तरीका
खुद को पुलिस, कस्टम, आयकर और ट्राई जैसे विभागों का अधिकारी बताकर साइबर ठग उच्च शिक्षित लोगों को वीडियो कॉल के जरिये अरेस्ट भी कर रहे हैं।
झूठी कहानी बताकर बचने के लिए पूरे समय वीडियो कॉलिंग में जुड़े रहने बोलकर पीड़ित पर पूरे समय नजर रखते हैं। डिजिटल अरेस्ट कर बचने के लिए रुपये की मांग करते हैं।
बच्चों को हिरासत में लेने की बात कहकर कर रहे वसूली
साइबर ठग अभिभावकों को कॉल करके उनके बेटे-बेटियों के हिरासत में होने की बात कहकर धमकाते हैं। वह खुद को पुलिस या कस्टम अफसर बताकर बात करते हैं और ड्रग, सेक्स रैकेट जैसे मामले में बच्चों को पकड़ने की बात कहते हैं। हिरासत से रिहा करने के बदले परिजनों से रुपये मांगे जाते हैं। ऐसे लोगों को खासतौर पर निशाना बनाते हैं जिनके बच्चे दूसरे शहरों में रहकर पढ़ाई या नौकरी करते हैं। पुलिस का नाम सुनकर परिजन घबरा जाते हैं और जाल में फंस जाते हैं।
खुद को अफसर बताकर पीड़ितों से ठगी की कोशिश
साइबर ठग खुद को पुलिस अधिकारी बताकर मुकदमे दर्ज कराने वाले लोगों से आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए रुपये की मांग भी कर रहे हैं।
फर्जी आईडी बनाकर लगा रहे चूना
पुलिस के बड़े अधिकारियों के सोशल मीडिया अकाउंट के क्लोन बनाकर भी लोगों को ठगने की कोशिश हो रही है।
पुलिस की अपील
बच्चों को हिरासत में लेने की कॉल आए तो पहले बच्चे या उसके साथियों को कॉल करके सुनिश्चित करें कि क्या मामला है? ऑनलाइन रुपये न दें।
– डिजिटल हिरासत की स्थिति बने तो ठगों की कॉल डिस्कनेक्ट कर तत्काल पुलिस को सूचना दें।
– मुकदमों में कार्रवाई और आरोपी को पकड़ने की बात कहकर रुपये मांगने की कॉल आए तो स्पष्ट मना कर दें।
– अनजान वीडियो कॉल न उठाएं। क्योंकि न्यूड वीडियो बनाकर ठगी के मामले बढ़े हैं, इनसे सावधान रहें।
– रात में सोते वक्त मोबाइल पर इंटरनेट बंद करना भी ठगी से बचाता है।
– किसी नए लिंक पर क्लिक न करें, आपकी निजी जानकारी ठगों को मिल सकती है।
– किसी को ओटीपी न बताएं, बैंक संबंधी डिटेल न दें।