छत्तीसगढ़ के 26 मजदूर कर्नाटक में बनाए गए बंधक : मजदूरों को मदद की दरकार
मोहला-मानपुर : छत्तीसगढ़ के मजदूरों को दूसरे राज्यों में बंधक बनाकर काम कराने की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही है. हाल ही में मोहला-मानपुर के 36 मजदूरों को महाराष्ट्र से छुड़ाया गया था. अब फिर से इसी जिले के 26 ग्रामीण मजदूरों को कर्नाटक में बंधुआ मजदूरी कराने का मामला सामने आया है. मजदूरों ने एक वीडियो बनाकर अपने गांव वालों को भेजकर मदद की गुहार लगाई है.
नक्सल प्रभावित और आदिवासी बाहुल्य मोहला-मानपुर जिले के ग्राम हालमकोड़ों और मोहगांव के 26 ग्रामीण, जिनमें 15 महिलाएं और 11 पुरुष शामिल हैं, कर्नाटक के बेलहोंगल क्षेत्र में बंधक बनाए गए हैं. परिजनों और ग्रामीणों ने बताया कि महाराष्ट्र के नांदेड़ के निवासी तथाकथित ठेकेदार उद्धव किशन तिडके इन मजदूरों को मजदूरी के नाम पर लेकर गया था.
वीडियो भेजकर मदद की गुहार
बंधक मजदूरों ने चोरी-छिपे एक वीडियो बनाकर अपने गांववालों को भेजा है. वीडियो में देखा जा सकता है कि मजदूरों को सामान ढोने के लिए मजबूर किया जा रहा है और जब वे भागने की कोशिश करते हैं, तो ठेकेदार के आदमी उन्हें रोकते और डराते हैं.
प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिससे परिजनों में आक्रोश है. परिजनों ने मजदूरों द्वारा भेजे गए वीडियो को मीडिया से साझा कर मदद की अपील की है. आवेदन में परिजनों ने बताया है कि महाराष्ट्र के नांदेड़ जिला निवासी तथाकथित ठेकेदार उद्धव किशन तिड़के उनके गांव के 15 महिला और 11 पुरुष कुल 26 ग्रामीणों को मजदूरी कराने के नाम पर अपने साथ ले गया. इन 26 ग्रामीणों को कर्नाटक के बेलहोंगल क्षेत्र में बंधुआ मजदूर बना के रखा गया है. जिला प्रशासन को दर्खास्त देने के बाद भी मजदूरों की वापसी को लेकर कोई सार्थक प्रशासनिक कार्रवाई सामने नहीं आने पर मजदूरों के परिजनों और ग्रामीणों ने कर्नाटक से बंधक मजदूरों द्वारा भेजे गए वीडियो को मीडिया से साझा किया है.
कलेक्टर का बयान
मामले पर मोहला-मानपुर की कलेक्टर तूलिका प्रजापति ने कहा कि कर्नाटक में बंधक बनाए गए मजदूरों को छुड़ाने के लिए पुलिस अधीक्षक से चर्चा कर आवश्यक कार्रवाई की जा रही है.
महाराष्ट्र में 36 मजदूरों को बंधक बनाने का मामला आया था सामने
गौरतलब है कि इससे पहले 9 दिसंबर को मोहला-मानपुर के ग्राम विचारपुर के 36 मजदूरों को महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले में बंधक बनाए जाने का मामला सामने आया था. मजदूरों ने चोरी-छिपे वीडियो भेजकर अपनी स्थिति बताई थी. इसके बाद पुलिस और प्रशासन के त्वरित प्रयासों से सभी मजदूरों को छुड़ाया गया था.