26 जुलाई को है जलाभिषेक का बेहद खास मुहूर्त, इस समय होगी त्रयोदशी और चतुर्दशी संधि
सावन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन शिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस दिन पूजा-पाठ करने, जलाभिषेक करने से भगवान शिन भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. शिवरात्रि पर त्रयोदशी खत्म होना और चतुर्दशी आरंभ होने के समय जलाभिषेक के समय को बेहद खास माना गया है.
शास्त्रों में त्रयोदशी और चतुर्दशी तिथि की संधि यानि जब त्रयोदशी तिथि समाप्त हो रही हो और चतुर्दशी तिथि आरंभ हो रही हो, इस समय को संधि कहा जाता है. 26 जुलाई की शाम ऐसा ही मुहूर्त बन रहा है. इस खास पुण्यकाल में भगवान शंकर को जल अर्पित किया जा सकता है.
इस समय होगी संधि
त्रयोदशी और चतुर्दशी के संधि 26 जुलाई शाम 6 बजकर 47 मिनट पर दोनों तिथियों का मेल होगा. इसे शिवरात्रि का विशेष पुण्यकाल माना जाता है. कहते हैं कि इस दिन चार पहर की पूजा का खास महत्व होता है. इन चारों पहरों में भगवान शिव की आराधना का महत्व है. इस दिन लोग भगवान शिव की कृपा पाने के लिए व्रत भी रखते हैं. व्रत का पारण अगले दिन किया जाता है. मान्यता है कि शिवरात्रि का व्रत रखने वालों को भगवान शिव मनवांछित फल देते हैं.
सावन शिवरात्रि पूजा का मुहूर्त
सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है. 26 जुलाई की शाम 06:45 बजे से शुरू होकर 27 जुलाई की रात 09:10 बजे तक चतुर्दशी तिथि है. बता दें कि भगवान शिव का जलाभिषेक इस बार 26 और 27 जुलाई दोनों ही दिन किया जा सकता है.