भगवान से भगवान को भी मांग लेना चाहिए यामिनी साहू

भगवान से भगवान को भी मांग लेना चाहिए यामिनी साहू

प्रदेश महामंत्री तिलक साहू एवं जिलाध्यक्ष ललित साहू कथा श्रवण करने पहुचे कोटा

व्यासपीठ आचार्य से आशीर्वाद लिए

बिलासपुर / कोटा बिलासपुर में नौंवे दिन तीर्थधाम जैसा नजारा दिख रहा है। यहां श्रीमद्भागवत कथा सुनने हजारों हजारों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। भगवान के जयकारे लगातार लग रहे हैं। जिसमे बिलासपुर से तिलक साहू प्रदेश महामंत्री राष्ट्रीय मानवाधिकार संघ भारत इकाई छत्तीसगढ़ एवं ललित साहू जिलाध्यक्ष राष्ट्रीय मानवाधिकार संघ भारत जिला बिलासपुर विजय यादव समाजिक कार्यकर्ता योगेश साहू जनपद सदस्य खरखेना भी व्यासपीठ आचार्य जी से आशीर्वाद लिए व्यास पीठ आचार्य ने कथा कहते हुए कहा कि कभी कभी भगवान से भगवान को भी मांग लेना चाहिए राधे राधे इन दिनों तीर्थधाम जैसा नजारा दिख रहा है। यहां श्रीमद्भागवत कथा सुनने हजारों हजारों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। भगवान के जयकारे लगातार लग रहे हैं। कथा के दौरान राधे राधे की गूंज पूरे इलाके में गूंज रही हैं। कथाव्यास यामिनी साहू के श्रीमुख से भागवत कथा सुन श्रद्धालु धन्य हो रहे हैं। बांके बिहारी की मूर्ति के समक्ष शीश झुका प्रणाम करके कथा स्थल पर कथा सुनने जा रहे हैं सोमवार को कथा का नौवां दिवस था। इस आयोजन में नौवां दिवस पर कथावाचक ने सतीअनुसूइया,बालक ध्रुव की कहानी सुनायी। साथ ही बताया की जिस व्यक्ति की मृत्यु सातवें दिन हो उसको क्या करना चाहिए ? भागवत कथा के तीसरे दिन की शुरुआत भागवत आरती और विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई। देवकीनंदन ठाकुर महाराज श्री ने श्रीमद्भागवत कीअमर कथा एवं शुकदेव जी के जन्म का वृतांत विस्तार से वर्णन किया था। कैसे श्रीकृष्ण ने शुकदेव महाराज को धरती पर भेजा भगवत कथा गायन करने को ताकि कलियुग के लोगों का कल्याण हो सके। रास्ते में कैलाश पर्वत पर उन्होंने चुपके से भगवान शिव द्वारा मां पार्वती को सुनायी जा रही भागवत कथा सुन ली जिससे शिव नाराज होकर उन्हे मारने दौड़े। साथ ही राजा परिक्षित को श्राप लगने का प्रसंग सुनाया था। इसमें बताया कि राजा परीक्षित की सातवें दिन मृत्यु सर्प के डसने से हो जाएंगी। जिस व्यक्ति को यहां पता चल जाये की उसकी मृत्यु सातवें दिन हो वो क्या करेगा क्या सोचेगा ? राजा परीक्षित ने यह जान कर उसी क्षण अपना महल छोड़ दिया।

अब नौवां दिवस की कथा देवकीनंदन ठाकुर के श्रीमुख से
आज कल गुरु जी अपने आपको ही मंदिरों में सजवाने में मस्त है । गुरु का मतलब जो गोविन्द से मिला दे। गुरु का मतलब ये नहीं है जो अपने आपको ही मंदिर में सजा दें। गुरुर साक्षात परम ब्रह्म हैं। गुरु साक्षात परम ब्रह्म हैं कौन ? जब ब्रह्म की पूजा ही नहीं करने दोगे। गुरुर देवो महेश्वरः कहते हैं शिवलिंग को छूने नहीं देते, न शिव की पूजा करने दे रहे है न नारायण की पूजा करने दे रहे हैं। वही गुरु श्रेष्ठ हैं जो गुरु गोविंद की राह पर चलने के लिए हमें प्रसन्नता दें। जो गोविंद दे दें वहीं स्वीकार कर लो..वही श्रेष्ठ है। भगवान से मांगना ही तो ये मांगों कि ऐसी दया करो “मेरा ही आत्म कल्याण हो जाये”। कभी कभी भगवान से भगवान को भी मांग लेना चाहिए। तब आनद आता है।

राजा परीक्षित ने शुकदेव महाराज से पूछा श्राप का उपाय
राजा परीक्षित गंगा के तट पर पहुंचे। वहां जितने भी संत महात्मा थे सब से पूछा की जिस की मृत्यु सातवें दिन है उस जीव को क्या करना चाहिए। किसी ने कहा गंगा स्नान करो, किसी ने कहा गंगा के तट पर आ गए हो इससे अच्छा क्या होगा, सब अलग अलग उपाय बता रहा है। तभी वहां भगवान शुकदेव जी महाराज पधारे। जब राजा परीक्षित भगवान शुकदेव जी महाराज के सामने पहुंचे तो उनको राजा ने शाष्टांग प्रणाम किया। शाष्टांग प्रणाम करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। शुकदेव जी महाराज जो सबसे बड़े वैरागी व चूड़ामणि हैं उनसे राजा परीक्षित जी ने प्रश्न किया कि हे गुरुदेव जो व्यक्ति सातवें दिन मरने वाला हो उस व्यक्ति को क्या करना चाहिए? किसका स्मरण करना चाहिए और किसका परित्याग करना चाहिए? कृपा कर मुझे बताइये…अब शुकदेव जी ने मुस्कुराते हुए परीक्षित से कहा की हे राजन ये प्रश्न केवल आपके कल्याण का ही नहीं अपितु संसार के कल्याण का प्रश्न है। तो राजन जिस व्यक्ति की मृत्यु सातवें दिन है उसको श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए तो उसका कल्याण निश्चित है। जो गोविंद दे दें वहीं स्वीकार कर लो। यही श्रेष्ठ है। श्रीमद भागवत में 18000 श्लोक, 12 स्कन्द और 335 अध्याय हैं जो जीव सात दिन में सम्पूर्ण भागवत का श्रवण करेगा वो अवश्य ही मनोवांछित फल की प्राप्ति करता है। राजा परीक्षित ने शुकदेव जी से प्रार्थना की हे गुरुवर आप ही मुझे श्रीमद्भागवत का ज्ञान प्रदान करें और मेरे कल्याण का मार्ग प्रशस्थ करें।
भागवत सुनने वालों का भगवान हमेशा कल्याण करते

भगवान मानव को जन्म देने से पहले कहते हैं ऐसा कर्म करना जिससे दोबारा जन्म ना लेना पड़े। मानव मुट्ठी बंद करके यह संकल्प दोहराते हुए इस पृथ्वी पर जन्म लेता है। प्रभु भागवत कथा के माध्यम से मानव का यह संकल्प याद दिलाते रहते हैं। भागवत सुनने वालों का भगवान हमेशा कल्याण करते हैं। भागवत ने कहा है जो भगवान को प्रिय हो वही करो, हमेशा भगवान से मिलने का उद्देश्य बना लो, जो प्रभु का मार्ग हो उसे अपना लो, इस संसार में जन्म-मरण से मुक्ति भगवान की कथा ही दिला सकती है। भगवान की कथा विचार, वैराग्य, ज्ञान और हरि से मिलने का मार्ग बता देती है। राजा परीक्षित के कारण भागवत कथा पृथ्वी के लोगों को सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। समाज द्वारा बनाए गए नियम गलत हो सकते हैं किंतु भगवान के नियम ना तो गलत हो सकते हैं और नहीं बदले जा सकते हैं।


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