सिर्फ आस्था नहीं, विज्ञान के लिहाज से भी बेहद खास है सावन का महीना! जानें कैसे

हर साल जब सावन का महीना आता है, तो एक अलग ही उमंग और आस्था का माहौल बन जाता है। चारों ओर हरियाली छा जाती है, हवा में मिट्टी की सौंधी खुशबू घुल जाती है और शिव मंदिरों में भक्तों का तांता लग जाता है।
बता दें, सावन को भगवान शिव का प्रिय महीना माना जाता है और इस दौरान पूजा-अर्चना का विशेष महत्व होता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि सावन का महीना सिर्फ आस्था ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक नजर से भी कितना जरूरी है ? आइए जानते हैं कैसे।
शरीर और मौसम की जुगलबंदी
इस समय वातावरण में नमी बहुत बढ़ जाती है, जिससे पाचन क्रिया थोड़ी धीमी हो सकती है। यही वजह है कि हमारे पूर्वजों ने इस दौरान हल्के और आसानी से पचने वाले भोजन पर जोर दिया। व्रत रखना और फलाहार करना शरीर को अंदर से साफ करने और पाचन तंत्र को आराम देने का एक वैज्ञानिक तरीका है। इससे शरीर बदलते मौसम के अनुकूल खुद को ढाल पाता है।
बीमारियों से बचाव का समय
मानसून में अक्सर पानी से जुड़ी बीमारियां बढ़ने का खतरा रहता है। सावन में कई लोग पानी उबालकर पीने या खास तरह की चीजें खाने पर जोर देते हैं। यह असल में पानी से होने वाली बीमारियों से बचने का एक प्राचीन तरीका है। मंदिरों में अक्सर तुलसी का इस्तेमाल और गंगाजल का महत्व भी पानी को शुद्ध रखने और उसके औषधीय गुणों को बढ़ाने से जुड़ा है।
मानसिक शांति का सीधा रास्ता
हरी-भरी प्रकृति, ठंडी हवा और बारिश की बूंदें मानसिक शांति के लिए किसी दवा से कम नहीं हैं। सावन का महीना हमें प्रकृति के करीब आने का मौका देता है। ध्यान, पूजा-पाठ और भक्तिमय माहौल तनाव को कम करने और मन को शांत रखने में मदद करता है। यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध है कि प्रकृति के बीच समय बिताने से हमारा मूड बेहतर होता है और चिंता कम होती है।